न ...करमा को नींद नहीं आएगी। नए पक्के मकान में उसे कभी नींद नहीं आती। चूना और वार्निश की गंध के मारे उसकी कनपटी के पास हमेशा चौअन्नी-भर दर्द चिनचिनाता रहता है। पुरानी लाइन के पुराने 'इस्टिसन' सब हजार पुराने हों, वहाँ नींद तो आती है।...ले, नाक के अंदर फिर सुड़सुड़ी जगी ससुरी...! करमा छींकने लगा। नए मकान में उसकी छींक गूँज उठी। 'करमा, नींद नहीं आती?' 'बाबू' ने कैंप-खाट पर करवट लेते हुए पूछा। गमछे से नथुने को साफ करते हुए करमा ने कहा - 'यहाँ नींद कभी नहीं आएगी, मैं जानता था, बाबू!' 'मुझे भी नींद नहीं आएगी,' बाबू ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा - 'नई जगह में पहली रात मुझे नींद नहीं आती।' करमा पूछना चाहता था कि नए 'पोख्ता' मकान में बाबू को भी चूने की गंध लगती है क्या? कनपटी के पास दर्द रहता है हमेशा क्या?...बाबू कोई गीत गुनगुनाने लगे। एक कुत्ता गश्त लगाता हुआ सिगनल-केबिन की ओर से आया और बरामदे के पास आ कर रुक गया। करमा चुपचाप कुत्ते की नीयत को ताड़ने लगा। कुत्ते ने बाबू की खटिया की ओर थुथना ऊँचा करके हवा में सूँघा। आगे बढ़ा। करमा समझ ग
छोटा जादूगर जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी famous hindi story छोटा जादूगर आपके साथ शेयर करे रहे हैं। यह एक हृदय स्पर्शी मार्मिक कहानी है जो आपके दिल को छू लेगी। कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हँसी और विनोद का कलनाद गूँज रहा था। मैं खड़ा था उस छोटे फुहारे के पास, जहाँ एक लड़का चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुरते के ऊपर से एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे। उसके मुँह पर गंभीर विषाद के साथ धैर्य की रेखा थी। मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ। उसके अभाव में भी संपन्नता थी। मैंने पूछा, ''क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा?" ''मैंने सब देखा है। यहाँ चूड़ी फेंकते हैं। खिलौनों पर निशाना लगाते हैं। तीर से नंबर छेदते हैं। मुझे तो खिलौनों पर निशाना लगाना अच्छा मालूम हुआ। जादूगर तो बिलकुल निकम्मा है। उससे अच्छा तो ताश का खेल मैं ही दिखा सकता हूँ।'' उसने बड़ी प्रगल्भता से कहा। उसकी वाणी में कहीं रूकावट न थी। मैंने पूछा, ''और उस परदे में क्या है? वहाँ तुम गए थे?" ''नहीं, वह